कक्षा - 9वीं
विषय - इतिहास
पाठ - 2
यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति (NCERT SOLUTIONS)
प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर : 1905 से पहले रूस के समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात निम्नलिखित थे:-
सामाजिक हालात -
- समाजिक स्तर पर मजदूर विभाजित थे।
- बहुत से मजदूर स्थायी रूप से शहरों में बस गये थे। कुछ मजदूर अपने गाँवों के साथ अभी भी गहरे संबंध बनाए हुए थे | उनमें योग्यता और दक्षता के स्तर पर भी काफी फर्क था।
- महिलाओं को पुरुषों से कम वेतन मिलता था।
आर्थिक हालात -
- रूसी साम्राज्य की 85 प्रतिशत जनता आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर थी।
- उद्योग-धंधे बहुत कम थे।
- सेंट पीटर्सबर्ग और मास्को प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे। ज्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपति थे।
- मजदूरों की दशा शोचनीय थी। उनको 10 - 12 घंटे की पालियों में काम करना पड़ता था।
- कोयला और स्टील उत्पादन काफी मात्रा में हो रहा था।
राजनीतिक हालात -
- रूस में जारशाही थी | जार निकोलस द्वितीय का शासन था।
- रूसी साम्राज्य में मास्को के आस-पास पड़ने वाले भूक्षेत्र के अलावा इसमें आज का फ़िनलैंड, लातविया, लिथुआनिया, एस्तोनिया तथा पौलैंड, यूक्रेन व बेलारूस के कुछ हिस्से शामिल थे।
- यह साम्राज्य प्रशांत महासागर तक फैला हुआ था और आज के मध्य एशियाई राज्यों के साथ-साथ जार्जिया, आर्मेनिया व अज़रबैजान भी इसमें शामिल थी।
प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर : 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले निम्नलिखित स्तरों पर भिन्न थी
- रूस के सभी कामगार कारखानों में काम करने के लिए गाँव से शहर नहीं आये थे। इनमें से ज्यादातर गाँवों में ही रहना पसंद करते थे और शहर में काम करने के निमित्त रोज गाँव से शहर आते थे। वे सामाजिक योग्यता एवं दक्षता के स्तर पर समूहों में बँटे हुए थे और यह उनकी पोशाको से परिलक्षित होता था। धातुकर्मी मजदूरों में खुद को साहब मानते थे क्योंकि उनके काम में ज्यादा प्रशिक्षण और निपुणता की जरूरत रहती थी |
- अन्य यूरोपीय देशों के मुकसबले रूस की कामगार जनसँख्या जैसे कि किसान एवं कारखाना मजदूरों की स्थिति बहुत भयावह थी | कारखाना मजदूर अपनी शिकायतों को प्रकट करने के लिए कोई ट्रेड यूनियन अथवा कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते थे | अधिकतर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे |
- किसान जमीन पर सर्फ़ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अघिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था | कुलीन वर्ग, सम्राट तथा रूढ़िवादी चर्च के पास बहुत अधिक सम्पत्ति थी | तात्कालीन रूस के किसान अपनी भूमि एकत्र कर अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और कम्यून उस कृषि भूमि को प्रत्येक किसान परिवार की आवयश्कता के अनुसार किसानों में बाँट देता था, जिससे उस कृषि भूमि पर सुगमता से कृषि की जा सके|
प्रश्न 3. 1917 में ज़ार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर :
- 1905 की क्रांति के बाद राजनीतिक पार्टियों और ट्रेड यूनियनों को गैर क़ानूनी घोषित कर दिया गया राजनीतिक गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई | जार ने एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद या ड्यूमा का गठन किया लेकिन पहली ड्यूमा को 75 दिन के भीतर और पुननिर्वाचित ड्यूमा को 3 महीने के भीतर बर्खास्त कर दिया क्योंकि जार किसी तरह की जवाबदेही या अपनी सत्ता पर किसी तरह का अंकुश नहीं चाहता था |
- प्रथम विष युद्ध के दौरान जार ने ड्यूमा में मौजूद पार्टियों से सलाह लेना छोड़ दिया | युद्ध के दौरान काफी संख्या में लोग मारे गए | जार के आदेश पर रुसी सेना ने पीछे हटते हुए रस्ते में पड़ने वाली इमारतों और फसलों को नष्ट कर दिया
- रूस की 85 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर थी | किसानों की दशा खराब थी | बेरोजगार किसान धर्मार्थ लंगरों में खाना खाते थे और खस्ताहाल मकानों में रहते थे |
- मजदूरों की दशा भी खराब थी उन्हें 10-12 घंटे तक की पाली में काम करना पड़ता था उनका वेतन कम था |
प्रश्न 4 - दो सूचियाँ बनाइए एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए
उत्तर :
फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाएँ और प्रभाव :
फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाएँ -
- फरवरी 1917 - पेत्रोग्राद में मजदूरों के इलाके में खाद्य पदार्थों की कमी |
- 22 फरवरी - एक फैक्ट्री में तालाबंदी |
- 23 फरवरी - पचास फैक्ट्रियों में हड़ताल |
- 24-25 फरवरी - घुड़सवार सैनिक और पुलिस की तैनाती |
- 25 फरवरी - ड्यूमा को बर्खास्त करना |
- 26 फरवरी - प्रदर्शनकारियों का इकट्ठा होना |
- जार ने गद्दी त्याग दी |
फरवरी क्रांति का प्रभाव -
- अंतरिम सरकार का गठन |
- जनसभा करने और संगठन बनाने में लगी पाबन्दी को हटाना |
- अन्य स्थानों पर सोवियतों का निर्माण बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर कम्युनिस्ट पार्टी रखा गया |
- ट्रेड यूनियनों की संख्या में वृद्धि |
अक्टूबर क्रांति की मुख्य घटनाएँ और प्रभाव :
अक्टूबर क्रांति की मुख्य घटनाएँ -
- अंतरिम सरकार और बोल्शेविकों के टकराव में वृद्धि |
- 24 अक्टूबर को विद्रोह प्रारम्भ होना |
- दिसंबर तक मास्को-पेत्रोग्राद इलाके पर बोल्शेविकों का नियंत्रण |
अक्टूबर क्रांति का प्रभाव -
- नवंबर, 1917 ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण |
- जमीन को सामाजिक संपत्ति घोषित किया गया तथा किसानों को सामंतो की जमीन पर कब्जा करने की छूट दी गई |
- अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के प्रयोग पर रोक लगाना |
- नवंबर में संविधान सभा के चुनाव कराए गए |
- गुप्तचर पुलिस और बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दंड देना |
- रूस एक-दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश |
- गैर रुसी राष्ट्रीयताओं को सोवियत संघ में राजनीतिक स्वायत्ता प्रदान करना |
प्रश्न 5 - बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर : अक्टूबर क्रांति के बाद निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन किए गए
- जमीन को सामाजिक सम्पत्ति घोषित किया गया |
- किसानों को सामंतों की जमीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गयी |
- अभिजात्य वर्ग की पुरानी पदवियों पर रोक लगा दी गयी |
- सेना और सरकारी अफसरों की वर्दियाँ बदल दी गयी |
- जमीनों के पुनर्वितरण का आदेश जारी किया गया |
- बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर रुसी कम्युनिस्ट पार्टी रखा गया |
- मार्च 1918 में बोल्शेविकों ने जर्मनी से संधि कर ली |
- अखिल रुसी सोवियत कांग्रेस को संसद का दर्जा दिया गया और रूस एक-दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश बन गया |
प्रश्न 6 - निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए
- कुलक
- ड्यूमा
- 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
- उदारवादी
- स्टालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम
उत्तर :
1. कुलक - रूस के सम्पन्न किसानों को कुलक कहा जाता था |2. ड्यूमा - यह एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद थी जिसका निर्वाचन 1905 की क्रांति के दौरान किया गया था |
3. 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार - 1914 में फैक्ट्री में औरतों की संख्या 31 प्रतिशत थी उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता था | फरवरी 1917 में हड़ताल के समय बहुत सारे कारखानों में हड़ताल का नेतृत्व औरतों ने किया |
4. उदारवादी - सभी धर्मों को समान जगह और सम्मान मिले | वे वंश आधारित शासकों की अनियमित सत्ता के विरोधी थे | इनका मानना था कि सरकार के समक्ष व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा की जाए | उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें छीनने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए उदारवादी सर्वभौमिक मताधिकार यानि सभी नागरिकों को वोट का अधिकार देने के पक्ष में नहीं थे उनके अनुसार वोट का अधिकार केवल सम्पत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए |
5. स्टालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम - स्टालिन ने अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए सामूहिकीकरण कर्यक्रम की शुरुवात की | अनाज की कमी को दूर करने के लिए सभी किसान को सभी किसानों को सामूहिक खेतों ( कोलखोज ) में काम करने का आदेश जारी किया | सभी किसान सामूहिक खेतों में काम करते थे और कोलखोज के मुनाफे को आपस में बाँट लेते थे | हालांकि सरकार ने स्वतंत्र किसानी की व्यवस्था भी सीमित स्तर पर जारी रहने दी लेकिन ऐसे किसानों को सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं दी जाती थी |
0 Comments