कक्षा - 9वीं
विषय - राजनीतिक विज्ञान
पाठ - 1
लोकतंत्र क्या ? लोकतंत्र क्यों ? (Notes)
लोकतंत्र - लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसमें शासकों का चुनाव जनता करती है | लोकतंत्र निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों पर आधारित शासन व्यवस्था है |
लोकतंत्र की मुख्य विशेषताएँ
यहाँ पर कुछ उदाहरणों की सहायता से लोकतंत्र की विशेषताओं को समझेगें
1. प्रमुख फैसले निर्वाचित नेताओं के हाथ में
पकिस्तान का उदाहरण
- पकिस्तान में 1999 में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी सरकार को परवेज़ मुशर्रफ की अगुवाई में सेना के द्वारा हटा दिया गया |
- मुशर्रफ ने खुद को मुख्य कार्यकारी घोषित किया | कुछ समय बाद मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति बना दिया |
- 2002 में लीगल फ्रेमवर्क आर्डर के जरिए पकिस्तान के संविधान में कुछ बदलाव किये जैसे -
- राष्ट्रपति राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबलियों को भंग कर सकता था तथा मंत्रिपरिषद स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकती थी |
- मंत्रिपरिषद के कामकाज पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की निगरानी रहती थी जिसके ज्यादातर सदस्य फौजी थे |
पकिस्तान के उदाहरण से हमें ये समझ आता है कि पकिस्तान की सरकार को लोकतांत्रिक सरकार नहीं कहा जा सकता क्योंकि पकिस्तान में प्रतिनिधियों का चुनाव तो जनता करती थी लेकिन प्रमुख फैसले लेने की शक्ति जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को नहीं दी गई थी |
इसलिए लोकतंत्र में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के पास ही होनी चाहिए |
2. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी मुकाबला
चीन का उदाहरण
- चीन की संसद के लिए प्रति पाँच वर्ष बाद चुनाव होते हैं |
- संसद को देश का राष्टपति नियुक्त करने का अधिकार है |
- चुनाव लड़ने से पहले सभी उम्मीदवारों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से मंजूरी लेनी होती है | सरकार सदा कम्युनिस्ट पार्टी की ही बनती है |
मैक्सिको का उदाहरण
- मैक्सिको में हर छ: साल बाद राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होते हैं | देश में कभी भी फौजी शासन या तानाशाही नहीं आई |
- हर चुनाव में पीआरआई पार्टी की ही जीत होती है |
- विपक्षी दल भी चुनाव में भाग लेते हैं लेकिन कभी जीत नहीं पाते इसका कारण है पीआरआई द्वारा चुनाव में अपनाए गए गलत तरीके जैसे कि -
- अंतिम क्षणों में मतदान केंद्र के स्थान में परिवर्तन कर देना जिससे कई लोग मतदान नहीं कर पाते |
- चुनाव अभियान पर काफी धन खर्च करना जबकि विपक्षी दल ऐसा नहीं कर पाते |
- जिंबाब्वे को 1980 में आजादी मिली | उसके बाद देश पर जानु - पीएफ दल का शासन रहा जिसके नेता राबर्ट मुगाबे थे |
- आजादी के बाद जिंबाब्वे में नियमित रूप से चुनाव होते थे |
- सदा ही जानु - पीएफ पार्टी की जीत होती थी | क्योंकि राबर्ट मुगाबे बहुत ही लोकप्रिय नेता थे साथ ही वे चुनाव में गलत तरीके भी अपनाते थे जैसे कि -
- विपक्षी दलों के के कार्यकर्ताओं को परेशान किया जाता था |
- यदि कोई विरोध प्रदर्शन और आंदोलन करता उनको गैर क़ानूनी घोषित कर दिया जाता था |
- टेलीविजन और रेडियो पर सरकारी नियंत्रण था | उन पर सिर्फ़ शासक दल के विचार ही प्रसारित होते थे |
- अखबार पर भी सरकारी नियंत्रण था |
- लोगों द्वारा चुने गए शासक ही सारे प्रमुख फैसले करते हैं |
- चुनाव लोगों के लिए निष्पक्ष अवसर और इतने विकल्प उपलब्ध कराता है कि वे चाहें तो मौजूदा शासकों को बदल सकते हैं |
- यह विकल्प और अवसर सभी लोगों को समान रूप से उपलब्ध हों |
- इस चुनाव से बनी सरकार संविधान द्वारा तय बुनियादी कानूनों और नागरिक अधिकारों के दायरे को मानते हुए काम करती है |
- लोकतंत्र में नेता बदलते रहते हैं | इससे अस्थिरता पैदा होती है |
- लोकतंत्र का मतलब सिर्फ राजनैतिक लड़ाई और सत्ता का खेल है | यहाँ नैतिकता की कोई जगह नहीं होती |
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतने सारे लोगों से बहस और चर्चा करनी पड़ती है कि हर फैसले में देरी होती है |
- चुने हुए नेताओं को लोगो के हितों का पता ही नहीं होता | इसके चलते खराब फैसले होते हैं |
- लोकतंत्र में चुनावी लड़ाई महत्वपूर्ण और खर्चीली होती है इसलिए इसमें भ्रष्टाचार होता है |
- सामान्य लोगों को पता नहीं होता कि उनके लिए क्या चीज़ अच्छी है और क्या चीज़ बुरी इसलिए उन्हें किसी चीज़ का फैसला नहीं करना चाहिए |
- लोकतांत्रिक शासन पद्धति दूसरों से बेहतर - लोकतांत्रिक शासन पद्धति दूसरों से बेहतर है क्योंकि यह शासन का अधिक जवाबदेही वाला स्वरूप है क्योंकि गैर लोकतांत्रिक सरकार लोगों की जरूरतों पर ध्यान दे भी सकती है और नहीं भी और यह सरकार चलाने वालों की मर्जी पर निर्भर करेगा जैसा कि चीन में देखा गया | लगभग तीन करोड़ लोग भूख से मारे गए | लेकिन चीन की सरकार ने खाद्य सुरक्षा के मामले में कोई कदम नहीं उठाया | अगर शासकों को कुछ करने की जरूरत नहीं लगती तो उनको लोगों की इच्छा के अनुरूप काम करने की जरूरत नहीं है लेकिन लोकतंत्र में यह जरूरी है कि शासन करने वाले, आम लोगों की जरूरतों पर तुरंत ध्यान दें | यदि ऐसा नहीं होता है तो लोग अपने द्वारा चुने हुए शासकों को हटा भी सकते हैं क्योंकि लोकतांत्रिक शासन पद्धति में शासकों का चुनाव जनता करती है |
- बेहतर निर्णय लेने की संभावना - लोकतंत्र बेहतर निर्णय लेने की संभावना बढ़ाता है | लोकतंत्र का आधार व्यापक चर्चा और बहसें हैं क्योंकि लोकतांत्रिक फैसलों में हमेशा ज्यादा लोग शामिल होते हैं, चर्चा करके फैसले होते हैं, बैठकें होती हैं | अगर किसी एक मसले पर अनेक लोगों की सोच लगी हो तो उसमें गलतियों की गुंजाइश कम होती है | दूसरी तरफ अन्य शासन व्यवस्थाओं में ऐसा नहीं होता | व्यापक चर्चा और बहस के बिना लिए गए फैसलों में गलतिओं की गुंजाइश काफी बढ़ जाती है |
- मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका - लोकतंत्र मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है | किसी भी समाज में लोगों के हितों और विचारों में अंतर होगा ही | भारत का उदाहरण ले तो हमारे देश में अलग-अलग समूहों के लोग रहते हैं विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं, अलग अलग धर्मों को मानते हैं, जातियाँ भी अलग-अलग हैं | इन सब का देखने का नजरिया भी अलग-अलग है और उनकी पसंद में भी अंतर है | एक समूह की और दूसरे समूह की पसंद में टकराव भी होता है | इन टकरावों को सुलझाने का तरीका लोकतंत्र उपलब्ध कराता है यानि लोकतंत्र इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान उपलब्ध कराता है |
- नागरिकों का सम्मान - लोकतंत्र नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है | लोकतंत्र में नागरिकों की जो हैसियत होती है वह किसी और व्यवस्था में नहीं होती | लोकतंत्र नागरिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है यहाँ सबसे गरीब और अनपढ़ को भी वही दर्जा प्राप्त है जो अमीर और पढ़े-लिखे लोगों को है | लोग किसी शासक की प्रजा न होकर खुद अपने शासक हैं अगर वे गलतियां करते हैं तब भी वे खुद इसके लिए जवाबदेह होते हैं |
- गलती को ठीक करने का अवसर - इस बात की कोई गारंटी नहीं है की लोकतंत्र में कोई गलती नहीं हो सकती | इस मामले में लोकतंत्र का लाभ यह है कि इसमें गलतियों को ज्यादा देर तक छुपाए नहीं रखा जा सकता | इन गलतियों पर सार्वजनिक चर्चा की गुंजाइश लोकतंत्र में हैं और सुधार करने की गुंजाइश भी है यानि या तो शासक समूह अपना फैसला बदल ले या शासक समूह को ही बदला जा सकता है | गैर- लोकतांत्रिक सरकार में ऐसा नहीं किया जा सकता |
- लोकतंत्र में सभी लोग शासन नहीं चलाते बल्कि सभी लोगों की तरफ से बहुमत को फैसले लेने का अधिकार होता है और यह बहुमत भी स्वयं शासन नहीं चलाता | बहुत का शासन भी चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से होता है | यह जरूरी हो जाता है क्योंकि -
- आधुनिक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में इतने अधिक लोग होते हैं कि हर बात के लिए सबको साथ बैठाकर सामूहिक फैसला कर पाना संभव ही नहीं हो सकता |
- अगर ऐसा संभव हो तब भी हर एक नागरिक के पास हर फैसले में भाग लेने का समय, इच्छा या योग्यता और कौशल नहीं होता |
- एक आदर्श लोकतंत्र में निर्णय लेने की प्रक्रिया लोकतांत्रिक होनी चाहिए |
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